प्यार के कुछ रंगरूप! भाईचारे का प्रेम, और खुद से प्यार कैसे करें?

फिलिया प्रेम : भाईचारे के रिश्तों का एक प्रेमरंग

स्नेह,भाईचारा यानि की, सभी अलग-अलग रिश्तों में किसी के साथ अच्छा व्यवहार, बर्ताव करना शामिल है, हालांकि कई बार इसका अर्थ यह है कि, वास्तविक पसंद जैसी किसी चीज़ की आवश्यकता होती है। जब वह उस किरदार (व्यक्ति) के चरित्र या स्वभाव के बारे में पसंद कर रहा होता है, इससे उत्त्पन्न स्नेह ही एक आपसी 'प्रेम ' या 'भाईचारा ' कहा जाता रहा है। अच्छी दोस्ती वो होती है जहां दोनों दोस्त एक-दूसरे के किरदारों को एन्जॉय करते हैं। जब तक दोनों दोस्त एक जैसे किरदार रखते हैं, यह रिश्ता कायम रहेगा, क्योंकि इसके पीछे का मकसद दोस्त के प्रति स्नेह और देखभाल है। कहते है की, सच्ची मित्रता आइने की तरह होती है। सही-गलत बताकर इंसान को रास्ते दिखाती है। यह फिलिया का उच्चतम स्तर है, और आधुनिक अंग्रेजी में इसे सच्ची मित्रता कहा जा सकता है।

"रिश्ता, दोस्ती और प्रेम उसी के साथ रखना, जो आपकी हंसी के पीछे का दर्द, गुस्से के पीछे का प्यार, और मौन के पीछे की वजह समझ सके! "

प्राचीन यूनानी के अनुसार फिलिया जिसे अक्सर "प्रेम का उच्चतम रूप" माना जाता है, प्रेम के लिए प्रयोग किए गये प्राचीन ग्रीक शब्दों में से एक है: फिलिया, फिलिया का अनुवाद आमतौर पर "दोस्ती" या स्नेह के रूप में किया जाता है।

फिलिया लव - ग्रीक यूनानियो द्वारा शब्द 'फिलिया' भाईचारे के लिए प्रयोग किया गया है। आमतौर पर यह एक पारिवारिक प्रेम भी है और एक ही परिवार के सदस्य भाई -बहन, भाई- भाई इनके प्यार भरे रिश्ते और मधुर सबंधो का समावेश है। फिलिया के सन्देश नुसार "भाईचारे' के स्नेह के साथ एक दूसरे से प्यार करो। एक दुसरे को सम्मान दिखाते हुए, एक दूसरे को "फिलाडेल्फिया" के रूप में आगे बढ़ाएं। जिसके लिए पेंसिल्वेनिया में उसे "भाईचारे के प्यार का शहर" भी कहा जाता है। शब्द "भाई" आमतौर पर साथीदार के लिए प्रयोग किया जाता है और भाई के प्यार के लिए एक ही मूल है जो "फिलिडेल्फिया" शब्द में पाया जाता है। फिलिया पवित्रशास्त्र में सबसे सामान्य प्रकार का प्रेम है, जिसमें साथी मनुष्यों के लिए प्रेम, देखभाल, सम्मान और जरूरतमंद लोगों के लिए करुणा शामिल है। "एक दोस्त हर समय प्यार करता है, और एक भाई विपत्ति के लिए पैदा होता है" का अर्थ है "परिवार सहित दूसरे के लिए मानव प्रेम।" शब्द "भाई" हिब्रू शब्द 'Ach' "आच" से आया है और एक ही परिवार के भाई या बहन जैसे सीधे रिश्तेदार के बारे में कहाँ जाता रहा है, लेकिन इसका मतलब यानि यह भाईचारे का संबंध एक साथी, देशवासी या उसी जनजाति या कबीले के किसी व्यक्ति से स्नेहपूर्ण संबंध भी हो सकता है।

" प्यार करो तो मुस्कुरा कर, किसी को धोखा न दो अपना बना कर, करलो याद जब तक जिन्दा हैं, फिर न कहना चले गये दिल में यादे बसा कर।" कभी भी घास के उस नरम और तुच्छ पौधे को न देखें, जिस पर लोग अक्सर उसे अपने पैरोंतले कुचलकर आगे बढ़ते हैं। इंसानों के पैरों के नीचे बार-बार कुचले जाने के बावजूद यह जमीन पर उदास नहीं रहता है, उदासी नहीं बिखेरता। हर बार जब वह खिलकर उठता है तो हवा में लहराने का साहस दिखाता है और अपने विकास को बनाए रखता है। इसलिए, जब एक छोटा और कमजोर घास का पौधा आशादायी होने का इतना बड़ा उदाहरण पेश कर सकता है, तो आप भी "इन्सान" बनकर वह "इंसानियत" दिखा सकते हैं कि, आप इंसान के रूप में कितने 'अद्भुत' हैं। क्यों न हम एक-दुसरे के प्रति मानवता का 'स्नेह और भाईचारे' का यह प्रेम बिखेरे।

फिलौतिया प्रेम- खुद से प्यार

इस दुनिया में कुछ अच्छी और सबसे खूबसूरत चीजें देखी या सुनी नहीं जा सकतीं, लेकिन दिल से जरुर महसूस की जाती है। जो कुछ भी आपने दिल से महसूस किया हो, वह केवल प्यार हो सकता है। हर भावना, हर प्रेम को केवल दिल से महसूस किया जा सकता है। इसलिए हर कोई इसके प्यार के भावनात्मक एहसास को महसूस करता है। इसमें परिवारिक प्यार, भाईचारे का प्यार या खुद से प्यार शामिल है। प्रेम के कई अर्थ या रूप होते हैं। लेकिन प्राचीन यूनानियों के पास प्रेम के विभिन्न रूपों का सटीक वर्णन करने के लिए कुछ खास शब्द प्रयोग थे: इसी मे से एक प्रेम है फिलौतिया, या सेल्फ लविंग के बारे में जानेंगे।

"वो मौहब्बत तुम्हारे दिल में हैं, उन्हें जुबां पर लाओ और बयां कर दो, आज बस तुम कहो और कहते ही जाओ, हम बस सुनें ऐसे कि हमें बे-ज़ुबान कर दो "

फिलौतिया लव - फिलौतिया एक प्रकार का प्यार है जो आत्म-प्रेम में शामिल है, हम दूसरों से तभी प्यार कर सकते हैं, जब हम वास्तव में खुद से प्यार करते हैं और हम तभी दूसरों की परवाह कर सकते हैं, यदि हम वास्तव में खुद की परवाह करते हैं। फिलौतिया आत्म-प्रेम है;जो अपने भीतर उत्पन्न हो सकता है, इसीलिए, यह अन्य सभी प्रेमों का स्रोत है। हालांकि, हम में से कई लोगों में आत्म-प्रेम की कमी होती है। इसलिए, यह आपको स्वयं का एक बेहतर संस्करण बना देगा। यह प्रेम आपको कई लाभों से पुरस्कृत करेगा। यह आपको खुश करेगा, आप में आत्मविश्वास पैदा करेगा और बहुत कुछ....। एक बार जब आप खुद से प्यार करना शुरू कर देंगे तो आप दुनिया को एक अलग नजरिए से देखने लगेंगे। अपने भीतर जगे उस प्रेम से देखेंगे, और यदि आपको अपने लिए ज्यादा प्यार नहीं है, तो संभावना है कि आप किसी अवसाद से गुजर रहे हैं।

" ये तो प्यार करने वालों की अपनी अपनी तकदीर है, कोई प्यार पाकर फकीर है तो कोई प्यार पाने के लिए फकीर है।" इसलिए, इससे पहले कि हम किसी और से प्यार करें, हमें खुद से प्यार करना होगा। खुद से प्यार करना यह एक प्रक्रिया है। हर चीज अलग है और हर कोई अलग-अलग प्रसंगों से गुजरता है। कई लोगों के दिल टूटते हैं और बिखर जाते है, अपने आत्म-प्रेम के कमी से परेशान होते हैं। जब कभी खुद से प्यार करने की बात आती है, तो आपको एक लंबी... सांस लेनी होती है और बस हर चीज के बारे में सोचना होता है की, आप इससे कैसे निपट सकते हैं। अपनी खामियों, अच्छे और बुरे के बारे में सोचें। एक बार जब आप हर चीज के बारे में सोच लेते हैं, तो आप उन चीजों का पता लगाने में भी सक्षम होंगे जिन्हें आप बेहतर करना चाहते हैं और उन समस्याओं को ठीक करने के तरीकों के बारे में भी सोचना शुरू कर देंगे। जब शांत दिमाग से अपने बारे सोचेंगे, अपने भलाई के बारे में सोचेंगे तो यह फिलोतिया यानि आत्म-प्रेम कहलाएगा। अपने जीवन के अवसाद, हताशा या जीवन की असफलताओं जैसी गंभीर परेशानियों को दूर करने के लिए आत्म-प्रेम ही एकमात्र प्रक्रिया है। इसके बाद, आप अपने जीवन को प्यार करने, खुद से प्यार करने की प्रेरणात्मक भावना को महसूस करेंगे।

याद रहे "आपके अपने जीवन में, यह जानना महत्वपूर्ण है कि, आप कितने शानदार और काबिल हैं। यह है खुद से प्यार....."

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लेखक की आत्मा का हर रहस्य, उसके जीवन का हर अनुभव, और उसके दिल की हर भावना, उसकी रचनाओं में लिखा हुआ होता है। एक लेखक होने के नाते एक अनकही कहानी को अपने अंदर समेटने से कोई पीड़ा बड़ी नहीं है। मैं खुद यकीन करता हूं कि, एक अच्छे लेखक को वास्तव में कुछ भी बताने की आवश्यकता नहीं होती है, वे जानते हैं कि वे एक लेखक हैं, वे जानते हैं कि, वास्तव में लेखन क्या है।