TRP क्या है और कैसे पता लगाया जाता है, VPN क्या है और कैसे काम करता है ?

TRP क्या है और कैसे पता लगाया जाता है |

TRP क्या है

TRP का यह मतलब होता है कि टेलीविजन के चैनल के किस शो में कितनी ऑडियंस देख रही है चैनल की रेटिंग जाने के लिए हमें विशेष प्रकार का डिवाइस का प्रयोग करते हैं जो टीआरपी का पता लगाने के लिए का प्रयोग करते हैं उसे "People Meter" कहते हैं।

TRP का full form क्या है TRP का full form television rating point

TRP को कितनी तरह से मापा जाता है

TRP को 2 तरह से मापा जाता है

ऑडियंस की संख्या – चैनल की TRP मापते

समय में कितने लोग उसे देख रहे है

समय – चैनल की TRP मापते उसे औसतन कितने समय तक देखा जा रहा है

TRP का पता कैसे लगाते हैं भारत की इंडियन टेलीविजन ऑडियंस मेजरमेंट एजेंसी विभिन्न फ्रीक्वेंसी की जांच करके यह पता लगाती है कि कौन सा चैनल के शो को कितनी ज्यादा बार देखा जा रहा है, इससे यह पता चल जाता है कि चैनल की TRP कितनी है

TRP मापने वाले यंत्र को पीपल मीटर (People Meter) कहते हैं। 20 मीटर की मदद से टीवी के चैनल में चलने वाले शो देखने वाले लोगों पर नजर रखी जाती है।

टीआरपी का पता लगाने के लिए हम "People Meter" का प्रयोग करते हैं, जो एक निश्चित फ्रीक्वेंसी में सेट कर यह पता लगाता है कि किस चैनल का कहां कौन सा सीरियल देखा जा रहा है और कितनी बार देखा जा रहा है। यह हमें पता चल जाता है। इस मीटर से हमें चैनल से जुड़ी हर मिनट की जानकारी मॉनिटरिंग टीम के जरिए हमें प्राप्त हो जाती है इस जानकारी हमें यह पता चलता है कि किस चैनल की टीआरपी सबसे ज्यादा है।

TRP से टीवी चैनल की इनकम कैसे होती है ऐसे तो किसी भी चैनल 70 से 80 % विज्ञापन के दौरान उनकी इनकम होती है । चैनल के किसी भी शो के बीच में जो भी ब्रेक आता है उस पर दिखाए गए विज्ञापन से चैनल की इनकम होती है TRP जिस चैनल की सबसे जादा होती है विज्ञापन देने वाले उस चैनल को सबसे ज्यादा रुपए देकर उस चैनल पर अपने विज्ञापन दिखाते हैं।

उदाहरण के लिए आईपीएल सबसे बड़ा एग्जाम पर है क्योंकि आईपीएल पूरे देश भर में सबसे लोकप्रिय है आईपीएल की टीआरपी बहुत ज्यादा होती है हर मैच के दौरान ओवर खत्म होने के बाद ब्रेक में बहुत सारे विज्ञापन दिखाए जाते हैं जिसे Hotstar, star sport चैनल को विज्ञापन कंपनी बहुत ज्यादा रुपए देते हैं हर विज्ञापन देने वाली कंपनी की यह कोशिश होती है कि चैनल वाले उनके विज्ञापन ज्यादा से ज्यादा ब्रेक में दिखाई जाए । इस तरह चैनल की अच्छी खासी कमाई हो जाती है विज्ञापन के द्वारा।

VPN क्या है?

VPN (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क )यह एक ऐसा युक्ति है, जो आपको प्राइवेट नेटवर्क बनाने में मदद करता है। भले ही आप जियो, एयरटेल, BSNL की ब्रॉडबैंड का इस्तेमाल कर रहे हों, VPN आपको अपना प्राइवेट नेटवर्क बनाने की इजाजत देता है। प्राइवेट नेटवर्क का मतलब है कि आप सीमित लोगों से या अपने होम नेटवर्क कनेक्शन से जुड़े रहते हैं।

VPN का प्रमुख काम है नेटवर्क ट्रैफिक को एन्क्रिप्ट करना। यानी आपके आईपी (IP या इंटरनेट प्रोटोकॉल) एड्रेस और लोकेशन को छिपाना। अगर आप किसी ब्रॉडबैंड कंपनी के नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे हैं तो उस इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (ISP) को सब पता होता है कि आप क्या वेबसाइट्स देख रहे हैं? आप क्या डाउनलोड कर रहे हैं? इतना ही नहीं, आपकी ऑनलाइन हिस्ट्री भी उसके पास होती है। इसकी मदद से ही वह आपकी ऑनलाइन एक्टिविटी के दौरान आपको विज्ञापन भी दिखाता है।

इंटरनेट एक समुद्र की तरह है और VPN उसमें एक पाइप की तरह। इंटरनेट के समुद्र में कई हैकर मौजूद हैं, जो डेटा चुराने की ताक पर रहते हैं। वर्चुअल नेटवर्क चुनिंदा कंप्यूटरों को ही आपस में जोड़ता है।

VPN ka full form

वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क ( Virtual Private Network )

VPN का महत्व क्यों बढ़ गया है?

आज ज्यादातर कंपनियां अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम की सुविधा दे रही हैं। ऐसे में वे असुरक्षित नेटवर्क पर रहकर काम नहीं कर सकते। अगर वे ऐसा करते हैं तो कंपनी के प्रतिस्पर्धी थर्ड पार्टी टूल्स का इस्तेमाल कर गोपनीय जानकारी हासिल कर सकते हैं।

इंटरनेट पर कई नेटवर्क ट्रैकिंग टूल्स उपलब्ध हैं, जिनका इस्तेमाल कर आपकी ऑनलाइन एक्टिविटी पर नजर रखी जा सकती है। स्पायवेयर, मालवेयर के जरिए आपकी प्राइवेसी में सेंध लगाई जा सकती है। साथ ही धोखाधड़ी भी हो सकती है। VPNs इससे बचाते हैं।

इसे देखते हुए ज्यादातर कंपनियां VPN सर्विसेस का इस्तेमाल कर रही हैं, ताकि कर्मचारियों का डेटा सुरक्षित रहे। एडमिन पासवर्ड्स समेत कई जानकारियां शामिल हैं। इस तरह VPN किसी भी कॉर्पोरेट की साइबर सिक्योरिटी में फ्रंटलाइन डिफेंस के तौर पर काम करते हैं।

अगर आप VPN का इस्तेमाल कर रहे हैं तो ऐसा नहीं है कि सुरक्षा सिर्फ ऑफिस का काम करने में मिलेगी। VPNs आपके ऑनलाइन बैंकिंग, सोशल मीडिया, ईमेल आदि के पासवर्ड्स सेफ रखते हैं।

VPN कैसे काम करता है

VPN का सबसे महत्वपूर्ण काम यह होता है कि आपके connection को या फिर आप internet पर जो भी आप काम कर रहे हैं उन सभी को सुरक्षित रखना का काम करता है.

जब हम अपने computer & mobile phone में VPN के साथ connect करते हैं तब वो computer & mobile phone एक local network की तरह काम करता है और हम जब भी उस website को अपने computer & mobile phone के browser में डाल कर search करते हैं जो हमारे देश में block है तब VPN अपना काम करना शुरू करता है.और आप block website को आराम से एक्सेस कर सकते हैं

VPN को कैसे कनेक्ट करते हैं?

VPN को दो तरह से कनेक्ट किया जा सकता है।

1.मोबाइल के द्वारा

2. कंप्यूटर के द्वारा

Computer में VPN को कैसे कनेक्ट करे?

यदि आप अपने Computer में VPN को इस्तमाल करना चाहते हैं तब इसके लिए आपको Opera Developer Software का इस्तमाल करना होगा. बस आपको उस software को download कर install करना होगा.

पहले Install करने के बाद आपको App को Open करना होगा, फिर आपको उपर की Side में, Menu का एक Option दिखाई दे रहा होगा उस पर आपको Click करना होगा फिर Setting पर Click करना होगा.

फिर आपको Setting पर click करने से आपके सामने Privacy And Security का option दिखाई देगा, फिर उसे Click करने पर आपको VPN का Option दिखाई दे रहा होगा वहां पर आपको Enable VPN पर Tick करना होगा.

इसके बाद आपके Opera Browser में VPN Activate हो जाएगा, इसके बाद आप सभी blocked Website को Access कर सकते है.

इसके बाद आपके Browser के URL के पास आपको VPN लिखा हुआ दिखाई दे रहा होगा, इसपर आप click कर जब चाहें VPN को On/ Off कर सकते है, साथ ही Location भी चेंज कर सकते हैं.

Computer के लिए Best VPN Software

वैसे तो Internet में बहुत से VPN software उपलब्ध हैं, लेकिन उनमें से अपने लिए सही VPN का चुनाव करना बहुत ही कठिन बात है. इसलिए मैंने Best VPN Softwares की एक लिस्ट तैयार की है जिन्हें आप अपने कंप्यूटर में install कर सकते हैं और अपने identity को बचा सकते हैं. VPN Service दोनों Free और Paid हैं, इसलिए अगर आप एक normal user हैं तब आप Free VPN Service का इस्तमाल कर सकते हैं.

• Windsribe

• Surf Easy

• Tunnel Bear

• ZPN connect

• Zenmate

• CyberGhost

• Finch VPN

• Hotspot Shield

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