👉 नीम का परिचय या नीम क्या है?
- नीम को आयुर्वेद में कई स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने के लिए कमाल की औषधि माना जाता है. हालांकि कई लोगों को नीम के फायदों के बारे में जानकारी नहीं होती है. नीम के न सिर्फ जड़, बल्कि इस पेड़ के प्रत्येक भाग, पत्ते, टहनियां, छाल, बीज, फल या फूल का उपयोग पारंपरिक आयुर्वेदिक उपचार में सूजन, बुखार के संक्रमण, त्वचा रोग और दंत विकारों से लेकर कई समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है.
👉 नीम में कौन से तत्व मौजूद हैं?
- नीम में कई शक्तिशाली तत्व पाए जाते हैं, जो हमारे शरीर में होने वाली , कई स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं। जीवाणुरोधी, एंटीकार्सिनोजेनिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी ऑक्सिडेंट, एंटीसेप्टिक, एंटीमाइरियल, एंटी- माइक्रोबियल और एंटी-वायरल गुणों से भरपूर नीम आपके सभी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का एक उपाय है.
👉 नीम का उपयोग कैसे करें या नीम के सबसे महत्वपूर्ण उपयोग
1) बालों की समस्याओं में लाभकारी है नीम का प्रयोग
- नीम के पत्ते (NEEM KE PATTE) एक भाग तथा बेपत्ता | भाग को अच्छी तरह पीस लें। इसका उबटन या लेप सिर पर लगाकर 1-2 घंटे बाद धो डालें। इससे भी बाल काले, लंबे और घने होते हैं।
- नीम के पत्तों को पानी में अच्छी तरह उबालकर ठंडा हो जाने दें। इसी पानी से सिर को धोते रहने से बाल मजबूत होते हैं, बालों का गिरना या झड़ना रुक जाता है। इसके अतिरिक्त सिर के कई रोगों में लाभ होता है।
- सिर में बालों के बीच छोटी-छोटी फुन्सियां हों, उनसे पीव निकलता हो या केवल खुजली होती हो तो नीम का प्रयोग बेहतर परिणाम देता है। ऐसे अरुषिका तथा क्षुद्र रोग में सिर तथा बालों को नीम के काढ़े से धोकर रोज नीम का तेल लगाते रहने से तुरंत लाभ होता है।
- नीम के बीजों को पीसकर लगाने से या नीम के पत्तों (NEEM LEAVES) के काढ़े से सिर धोने से बालों की जुए और लीखें मर जाती हैं।
2) नीम का इस्तेमाल दांतों के रोगों में लाभदायक
- नीम की जड़ की छाल का चूर्ण 50 ग्राम, सोना गेरु 50 ग्राम तथा सेंधा नमक 10 ग्राम, इन तीनों को मिला कर खूब महीन पीस लें। इसे नीम के पते के रस में भिगो कर छाया में सुखा दें। यह एक भावना हुई। ऐसी ही तीन भावनायें देकर और मुखाकर शीशी में रख लें। इस चूर्ण से दाँतों को मंजन करने से दाँतों से खून गिरना, पीव निकलना, मुंह में छाले पड़ना, मुंह से दुर्गन्ध आना, जी का मिचलाना आदि रोग दूर होते हैं।
- 100 ग्राम नीम की जड़ को कूट कर आधा लीटर पानी में एक चौथाई शेष रहने तक उबालें। इस पानी से कुल्ला करने से दांतों के रोग दूर होते हैं।
3) नीम का इस्तेमाल आँखों के रोगों के लिए फायदेमंद
- जिस आँख में दर्द हो, उसके दूसरी ओर के कान में नीम के कोमल पत्तों का रस गुनगुना कर 2-2 बूँद टपकाएं। दोनों आँखों में दर्द हो तो दोनों कान में टपकाएं। दर्द समाप्त हो जाएगा।
- नीम के पत्ते (NEEM LEAVES) और लोध्र के बराबर चूर्ण को पोटली में बाँधकर उस पोटली को पानी में डाल दें। इस पानी की 2 3 बूंदें आँखों में डालने से आँखों की सूजन तथा दर्द आदि रोग दूर होते हैं।
- यदि आँखों के ऊपर सूजन के साथ ही दर्द और अन्दर खुजली होती हो तो नीम के पत्ते तथा सोंठ को पीसकर थोड़ा सेंधा नमक मिला लें। इसे हल्का गर्म कर लें। एक कपड़े की पट्टी पर इसे रखकर आँखों पर बाँधें। 2-3 दिन में आँखों का यह रोग दूर 'हो जाता है। इस समय ठंडे पानी एवं ठंढ़ी हवा से आँखों को बचाना चाहिए। अच्छा होग कि यह प्रयोग रात को करें।
4) कान का बहना रोके नीम का उपयोग
- नीम के पत्ते (NEEM LEAVES) के रस में बराबर मात्रा में मधु मिला लें। इसे 2-2 बूँद सुबह-शाम कान में डालने से लाभ होता है। इसे डालने से पहले कान को अच्छी प्रकार साफ कर लें।
- कान से पीव निकलती हो तो नीम के तेल में शहद मिला लें। इसमें रुई की बत्ती भिगोकर कान में रखने से लाभ होता है।
5) नकसीर (नाक से खून बहना) में लाभकारी है। नीम का प्रयोग
- नीम की पत्तियां और अजवायन को बराबर मात्रा में पीस ले। इसे कनपटियों पर लेप करने से नाक से खून बहना यानी नकसीर बन्द होता है।
6) नीम के उपयोग से चर्म (त्वचा) रोगों में लाभ
- नीम की जड़ की ताजी छाल और नीम के बीज की गिटी 10-10 ग्राम को अलग-अलग नीम के ताजे पत्ते के रस में पीस लें। इसे अच्छी तरह मिला लें। मिलाते समय ऊपर से पत्तों का रस डालते जायें। जब मिलकर उबटन की तरह हो जाये, तब प्रयोग में लायें। यह उबटन खुजली, दाद, वर्षा तथा गर्मी में होने वाली फुन्सिया, शीतपित्त (पित्त निकलना) तथा शारीरिक दुर्गन्ध आदि त्वचा के सभी रोगों को दूर करता है।
- एक्जिमा सूखा हो या पीव वाला। नीम के पत्ते के रस में पट्टी को तर कर बाँधने से और बदलते रहने से लाभ होता है। नीम के पत्तों को पीसकर लगाने से भी लाभ होता है।
- नीम के 8-10 पत्तों को दही व शहद के साथ पीसकर लेप करने से दाद तथा घावों में लाभ होता है।
7) घाव में नीम से फायदा
- हमेशा बहते रहने वाले जख्म को नीम के पत्तों के काढ़े से अच्छी प्रकार धो लें। इसके बाद नीम के छाल की राख को उसमें भट दें। 7-8 दिन में घाव पूरी तरह ठीक हो जाता है।
- 10 ग्राम नीम की गिरी तथा 20 ग्राम मोम को 100 ग्राम तेल में डालकर पकाएं। जब दोनों अच्छी तरह मिल जायें तो आग दो उतार कर 10 ग्राम राल का चूर्ण मिलाकर अच्छी तरह हिलाकर रखलें। यह मलहम, आग से जले हुए और अन्य घावों के लिए हुए लाभदायक है।
- आग से जले हुए स्थान पर नीम के तेल को लगाने से जल्द लाभ होता है। इस से जलन भी शांत हो जाती है।
- 50 मिली नीम के तेल में 10 ग्राम कपूर गिला कर रख लें, उसमें रुई का फाहा डुबोकर घान पर रखने से घाव सूख क ठीक हो जाता है। इससे पहले घाव को फिटकढ़ी मिले हुये नीम के पत्ते का हो साफ कर लें।
8) बुखार में नीम से लाभ
- 20-20 ग्राम नीम, तुलसी तथा हुरहुर के पत्ते तथा गिलोय और छह ग्राम काली मिर्च को मिला लें। इसे महीन पीसकर पानी के साथ मिलाकर 2.5-2.5 ग्राम की गोली बना लें। 2-2 घंटे के अन्तर पर 1-1 गोली गर्म पानी से सेवन करें। बुखार जल्द ही ठीक हो जाएगा।
- नीम की छाल 5 ग्राम और आधा ग्राम लौंग या दाल चीनी को मिलाकर चूर्ण बना लें। इसे दो ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम पानी के साथ लेने से साधारण वायरल बुखार, मियादी टायफायड बुखार एवं खून विकार दूर होते हैं।
- नीम की छाल, धनिया, लाल चन्दन, पद्मकाष्ठ, गिलोय और सोंठ का काढ़ा बनाकर 10-30 मिली मात्रा में सेवन करने से सब प्रकार के बुखार में लाभ होता है।
- 20 ग्राम नीम के जड़ की अन्दर के छाल को मोटा-मोटा कूट लें। इसमें 160 मिली पानी मिलाकर मटकी में रात भर भिगोकर सुबह पकाएं। एक चौथाई यानी 40 मिली पानी शेष रहने पर छानकर गुनगुना पिलाने से बुखार में लाभ होता है।
9) रक्त विकार (खून साफ करने के लिए) में नीम से फायदा
- नीम का काढ़ा या ठंडा रस बनाकर 5-10 मिली की मात्रा में रोज पीने से खून के विकार दूर होते हैं।
- 10 ग्राम नीम के पत्ते का काढ़ा बनाकर सेवन करने से खून गर्मी में लाभ होता है। की
- 20 मिली नीम के पत्ते का रस और अड़सा के पत्ते का रस में मधु मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करने से खून साफ होता है।
10) बवासीर में फायदेमंद नीम का प्रयोग
- 50 मिली नीम तेल, 3 ग्राम कच्ची फिटकरी तथा 3 ग्राम सुहागा को महीन पीसकर मिला दें। शौच क्रिया मे धोने के बाद इस मिश्रण को उंगली से गुदा के भीतर तक लगाए। इससे कुछ ही दिनों में बवासीर ठीक होता है।
- नीम के बीज की गिटी, एलुआ औट टसीत को बराबर मात्रा में मिलाकर खरल कर गोलियां बना लें। सुबह एक गोली छाछ के साथ सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है।
- नीम के बीजों की गिटी 100 ग्राम और जड़ की छाल 200 ग्राम को पीस लें। इसकी 1-1 ग्राम की गोलियां बनाकर 4-4 गोली को दिन में 4 बार सात दिन तक खिलाएं। इसके साथ ही नीम के काढ़े से मस्सों को धोएं या पत्तों (USES OF NEEM LEAVES) को पीस कर मस्सों पर बाँधे। बवासीर में निश्चित लाभ होगा।
👉 दोस्तों जैसा कि आप सभी ने ऊपर पढ़ा है कि नीम का उपयोग किस लिए और कैसे किया जाता है, लेकिन जैसा कि आप सभी जानते हैं कि हर आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी के अपने फायदे और नुकसान होते हैं। तो अब जानते हैं नीम के नुकसान के बारे में।
- यदि नीम का इस्तेमाल एक उचित मात्रा में किया जाए तो इसे आमतौर पर स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित माना गया है। हालांकि, यदि इसका अधिक मात्रा में सेवन किया जा रहा है, तो इससे शरीर में कुछ विषाक्त प्रभाव पैदा होने का खतरा बढ़ जाता है, जिससे पेट में दर्द, उल्टी, जी मिचलाना, दस्त व सीने में जलन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
- साथ ही कुछ लोगों को नीम से एलर्जी भी हो सकती है और त्वचा पर इसका इस्तेमाल करने से एलर्जिक रिएक्शन शुरू हो सकता है। इसलिए यदि आपको लगता है कि आपको नीम से एलर्जी हो सकती हैं, जो इसका इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से बात कर लें।
👉 तो दोस्तों अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो तो मैं आपके लिए आयुर्वेदिक से जुड़े और भी आर्टिकल्स अपलोड करूंगा।
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